कानूनी जटिलताओं और अदालती आदेशों के कारण नगरपालिका अधिकारी अक्सर खतरनाक या अवैध रूप से निर्मित मकानों को ध्वस्त करने में असमर्थ होते हैं।
मुहम्मद शबीब आलम कोलकाता
निगम घरों के सामने कोर्ट के आदेश वाले बैनर लगाएगा
नगर निगम अधिकारी अक्सर कानूनी पेचीदगियों और कोर्ट के आदेशों के कारण खतरनाक घरों या अवैध रूप से निर्मित घरों को नहीं तोड़ पाते हैं। लेकिन स्थानीय लोगों का मानना है कि पैसे के लालच में जानबूझकर इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। इस बार कोलकाता नगर निगम ने उस शिकायत का खंडन करने के लिए कोर्ट के आदेश वाले बैनर लगाने का फैसला किया है। मेयर फिरहाद हकीम ने कहा कि यह फैसला नागरिकों को यह समझाने के लिए लिया गया है कि कोर्ट के आदेश या कानूनी पेचीदगियों के कारण घरों को नहीं तोड़ा जा रहा है। समय-समय पर निगम के पास शिकायतें आती रहती हैं कि शहर में अवैध या खतरनाक घरों को नहीं तोड़ा जा रहा है। इस माहौल में अगर कोई खतरा या आपदा आती है तो नगर निगम प्रशासन को स्थानीय लोगों की शिकायतों का सामना करना पड़ता है। कोर्ट के आदेश की बात करने के बाद भी नाराज नागरिक इसे स्वीकार नहीं करते हैं। इसलिए इस बार कोलकाता निगम अपने कंधों पर कोई जिम्मेदारी नहीं लेने की राह पर चल रहा है।इस संदर्भ में, मेयर फिरहाद हकीम ने कहा, "इसे क्यों नहीं तोड़ा जा रहा है? कोलकाता नगर निगम उस घर के सामने एक बैनर लगाएगा, जिसमें विस्तृत जानकारी होगी। कई बार शिकायत की जाती है कि नगर निगम घर क्यों नहीं तोड़ रहा है। अधिकारियों की ओर अस्पष्टता की अंगुली उठती है। पारदर्शिता बनाए रखने के लिए भवन विभाग की यह पहल है। मैंने अपने आयुक्त से कहा है कि अगर किसी घर को तोड़ने के आदेश पर अदालती रोक है, तो बैनर पर विस्तृत जानकारी लिखकर कहा जाएगा कि अदालत के आदेश के कारण हम नहीं तोड़ सकते। ज्यादातर मामलों में नागरिक यह नहीं समझते हैं कि अदालत के आदेश के कारण हमारे हाथ बंधे हुए हैं।" कलकत्ता निगम ने पहले ही अवैध घरों के निर्माण को रोकने के लिए कदम उठाए हैं। इसके साथ ही खरीदारों को धोखाधड़ी से बचाने के लिए निर्माणाधीन फ्लैट के सामने भवन के डिजाइन सहित विस्तृत जानकारी के साथ एक बैनर टांगने का आदेश दिया गया है
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